दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको चाणक्य नीति के पहले अध्याय के बारे में बता रहे है। चाणक्य नीति में कुल 17 अध्याय है और इन सभी अध्यायों में आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के बारे में बताया है। तो चलिए पढ़ते है आज की इस पोस्ट में Chanakya Niti in Hindi First Chapter के बारे में।
Chanakya Niti in Hindi First Chapter – चाणक्य नीति, पहला अध्याय
तीनों लोको के मालिक सर्वशक्तिमान परमपिता परमेश्वर विष्णु को नमन करते हुए में एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को बता रहा हूं, में यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार लेकर कह रहा हूं।
जो आदमी शास्त्रों के सूत्रों के अनुसार ज्ञान प्राप्त करता है तो उसे अत्यंत वैभवशाली कर्त्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होते है, उसको यह भी पता चलता है की किन बातों का अनुसरण करना चाहिए और किन बातों का नही, उसको अच्छे और बुरे के बारे में भी पता चलता है अर्थात उसे सब कुछ का ज्ञान हो जाता है।
इसलिए लोगों का श्रेष्ठ करने के लिए में उन सभी बातों को बताऊंगा जिनसे लोग सभी चीजों को सही परिपेक्ष्य में देखेंगे।
एक पंडित भी तब घोर संकट में आ जाता है जब वह किसी मूर्ख इंसान को उपदेश देता है, या फिर वो एक बुरे आचरण वाली पत्नी का पालन पोषण करता है, या फिर किसी दुखी व्यक्ति के साथ बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है।
बुरे आचरण वाली पत्नी, झूठा दोस्त, बदमाश नौकर और सांप के साथ रहना साक्षात मौत के समान है।
लोगों को भविष्य में आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए धन का संचय करना चाहिए, अगर बात पत्नी की हो तो धन को त्यागकर उसकी सुरक्षा करनी चाहिए, अगर बात आत्मा की सुरक्षा की आती है तो लोगों को धन और पत्नी दोनों को तुक्ष्य समझना चाहिए।
Chanakya Niti in Hindi First Chapter
आपको भविष्य में आने वाली समस्याओं के लिए धन को जोड़कर रखना चाहिए, ऐसा बिल्कुल भी न सोचे कि धनवान व्यक्ति को किस तरह की मुसीबत, क्योंकि जब धन साथ छोड़ता है तो जुड़ा हुआ धन भी तेजी से कम होने लगता है।
उस देश में आपको नही रहना चाहिए, जहां आपकी कोई इज्जत नही करें, जहां आप कमाकर नही खा सकते, जहां आपका कोई दोस्त नही और जहां आप कोई ज्ञान प्राप्त नही कर सकते।
आपको अपना घर वहां नही बसाना चाहिए जहां निम्नलिखित ये पांच ना हो।
A. एक राजा
B. एक डॉक्टर
C. एक धनवान व्यक्ति
D. वैदिक शास्त्रों से निपुण एक ब्राह्मण
E. एक नदी
बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नही जाना चाहिए जहां रोजगार करने का कोई साधन न हो, जहां लोगों को किसी बात का डर नही हो, जहां लोगों को किसी बात की शर्म न हो, जहां के लोग बुद्धिमान न हो और जहां के लोग दान धर्म नही करते हो।
नौकर को जब परखना चाहिए तब वह अपने कर्तव्य का पालन नही कर रहा हो, जब आप मुसीबत में हो तो आपको अपने रिश्तेदारों को परखना चाहिए, मित्र को विपरीत परिस्थितियों में परखना चाहिए और जब आपका समय सही नही चल रहा हो तब अपनी पत्नी को परखना चाहिए।
अच्छा दोस्त वही होता है जो हमें निम्न परिस्थितियों में नही छोडे।
जरूरत पड़ने पर, किसी दुर्घटना होने पर, जब अकाल पड़ा हो, जब लड़ाई हो रही हो और जब हमे शमशान घाट जाना पड़े।
Chanakya Niti in Hindi First Chapter
जो व्यक्ति किसी नाश होने वाली चीज के लिए कभी नाश नही होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से कभी नाश न होने वाली वस्तु तो चली जाती है और इसमें कोई संदेह नही की वो नाश होने वाली चीज को भी खो देता है।
एक बुद्धिमान व्यक्ति को इज्जतदार घर की लड़की से ही विवाह करना चाहिए, उसको किसी कुलीन घर की अत्यंत सुंदर लड़की से विवाह नही करना चाहिए, इसलिए शादी विवाह हमेशा अपने बराबर के घरों में ही सही रहता है।
जिन लोगों के पास अस्त्र शस्त्र हो, नदियां, बड़े नाखून और सिंग वाले पशु, भोली सूरत वाली स्त्री और राज घराने के लोगों पर कभी भी यकीन नही करना चाहिए।
अगर हो सके तो विष में से अमृत को, कीचड़ में से पड़े हुए सोने को, निचले घरों में पैदा होने वाले लोगों से ज्ञान को ग्रहण कर लेना चाहिए, इसी तरह कोई बदनाम घर की लड़की महान गुणों से संपन्न है और आपको कोई ज्ञान की बात बताती है तो आपको वह बात ग्रहण करनी चाहिए।
स्त्रियों में पुरषों की अपेक्षा भूख दो गुना, लज्जा चार गुना, साहस छ: गुना और काम वासना आठ गुना अधिक होती है।
दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको Chanakya Niti in Hindi First Chapter के बारे में बताया है। आशा करते है की आपको यह चाणक्य नीति का पहला अध्याय पसंद आया हो।
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