दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के बारे में बता रहे है। चाणक्य नीति के जो अध्याय है और उन सभी अध्यायों में आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के बारे में बताया है।
अगर आप लोग आचार्य चाणक्य जी के द्वारा बताई गई नीतियों को पढ़ते है तो आप भी नीति शास्त्र में निपुण हो सकते है, तो चलिए पढ़ते है आज की इस पोस्ट में Chanakya Niti in Hindi Second Chapter के बारे में।
Chanakya Niti in Hindi Second Chapter – चाणक्य नीति, दूसरा अध्याय
असत्य बोलना, सख्त रहना, छल कपट करना, पागलपन करना, लोभी होना, अपवित्रता और बेरहम होना, ये सभी औरतों के कुछ स्वभाविक दुर्गुण होते है।
खाना खाने लायक भोजन और उस भोजन को खाने की क्षमता, अत्यंत सुंदर स्त्री और उसके साथ काम वासना करने की शक्ति, पर्याप्त धन सम्पत्ति होना और उसमे से दान दक्षिणा देने की प्रवृति होना – इन सभी संयोगों का होना कोई सामान्य तप का फल नही है।
जिस व्यक्ति का पुत्र आज्ञाकारी हो, उसकी पत्नी उसके अनुसार आचरण करने वाली हो और जो धन सम्पत्ति प्राप्त हो उसी में संतुष्ट हो, ऐसे व्यक्ति के लिए यह धरती ही स्वर्ग के समान होती है।
पुत्र वही जो अपने पिता की आज्ञा का पालन करें, पिता वही जो अपनी संतानों का पालन-पोषण करें, दोस्त वही जिस पर भरोसा किया जा सके और पत्नी वही जिससे सुख की प्राप्ति की जा सके।
जो लोग आपके मुंह पर मीठी मीठी बातें करते है और आपके पीठ के पीछे आपकी बुराई करते है, ऐसे लोगों से आपको बचकर रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग उस जहर से भरे घड़े के समान है जिसकी ऊपर की सतह दूध से भरी हुई होती है।
Chanakya Niti in Hindi Second Chapter
एक बुरे दोस्त पर कभी भी भरोसा नही करना चाहिए और न ही एक अच्छे दोस्त पर भरोसा करना चाहिए क्योंकि अगर इस तरह के लोग आपसे नाराज होते है तो वो लोग आपके सभी भेद खोल देते है।
अपने मन में सोचे हुए काम के बारे में किसी को नही बताना चाहिए और जब तक वह काम पूरा ना हो जाए तब तक अपनी योजना की सुरक्षा करनी चाहिए।
इसमें कोई दो राय नही है की मूर्खता और जवानी दोनों कष्टदायक होती है, लेकिन इन दोनों से भी ज्यादा कष्टदायक किसी दूसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना होता है।
यह सच है की हर पर्वत पर माणिक्य नही मिलते और हर हाथी के उपर मोती नही होते है, इसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी हर जगह नही होते है और हर जंगल में चंदन के पेड़ भी नही होते है।
एक बुद्धिमान पिता को अपनी संतान को अच्छे गुणों की सीख देनी चाहिए क्योंकि नीतिज्ञ, शीलवान और ज्ञानी व्यक्ति ही इस संसार में पूजे जाते है।
Chanakya Niti in Hindi Second Chapter
ऐसे माता पिता अपने बच्चों के शत्रु होते है जो अपने बच्चों को शिक्षित नही करते है, क्योंकि अशिक्षित बच्चे विद्वानों की सभा में उसी तरह सम्मान नही पाते है जिस तरह से हंसो के झुंड में बगुला।
ज्यादा लाड प्यार करने से बच्चे बिगड़ जाते है जबकि कठोर शिक्षा देने से उनमें अच्छी आदतों का विकास होता है, इसलिए अपने बच्चों को जरूरत पड़ने पर डांटना चाहिए और ज्यादा लाड प्यार नही करना चाहिए।
ऐसा एक दिन भी नही गुजरना चाहिए जब आपने एक श्लोक, आधा श्लोक, चौथाई श्लोक या श्लोक का केवल एक अक्षर नही सीखा या दान पुण्य, अभ्यास या कोई अच्छा काम नही किया हो।
अपनी पत्नी से बिछड़ना, अपने ही लोगों द्वारा अपमानित होना, कर्ज बाकी रहना, दुष्ट राजा की सेवा करना और गरीब लोगों की सभा, ये सभी बातें इंसान के शरीर को बिना आग के ही जला देती है।
इसमें कोई संदेह नही है की नदी के किनारे वाले पेड़, किसी दूसरे व्यक्ति के घर में रहने वाली औरत और बिना मंत्रियों का राजा, ये बहुत जल्दी ही समाप्त हो जाते है।
Chanakya Niti in Hindi Second Chapter
विद्वान लोगों का बल विद्या है, राजाओं का बल उनकी सेना होती है, व्यापारी लोगों का बल उनकी दौलत होती है और एक शूद्र का बल उसकी सेवा परायणता मे है।
जिस प्रकार एक वैश्या किसी गरीब पुरुष को, जनता हारे हुए राजा को और पक्षी फलहीन पेड़ों को त्याग देते है, ठीक उसी प्रकार मेहमान को खाना खाने के बाद मेजबान के घर से निकल जाना चाहिए।
जिस तरह ब्राह्मण लोग दान दक्षिणा प्राप्त होने के बाद यजमानों को छोड़ देते है, शिष्य विद्या प्राप्त होने के बाद गुरु को छोड़ देते है, ठीक उसी तरह जानवर जले हुए जंगल को छोड़ देते है।
दुराचारी, दुर्जन, बुरी नजर रखने वाला और बुरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति से अगर कोई अच्छा व्यक्ति मित्रता रखता है तो वह जल्दी ही नष्ट हो जाता है।
प्रेम और दोस्ती बराबर के लोगों में ही अच्छी लगती है, राजा के यहां नौकरी करने वाला ही सम्मान पाता है, व्यवसायों में अच्छा व्यवहार ही शोभा देता है और घर उत्तम गुणों वाली औरत से ही सुशोभित रहता है।
दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको Chanakya Niti in Hindi Second Chapter के बारे में बताया है। आशा करते है की आपको यह चाणक्य नीति का दूसरा अध्याय पसंद आया हो।
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