अंतिम संस्कार के समय शव के सिर पर तीन बार डंडा क्यों मारा जाता है – इंसान की लाइफ में जन्म में बाद जो सत्य है वो मृत्यु है। फिर चाहे वो कोई साधु हो या संत, राजा हो या फकीर, जिसने भी जन्म लिया है, उनको एक दिन मृत्यु जरूर आएगी।
ऐसे में जो लोग यह सत्य समझते है, वो मृत्यु के बाद मोक्ष पाने की अभिलाषा में अपने जीते जी तो पुण्य कर्म करते ही है, बल्कि मरने के बाद भी कुछ कर्म ऐसे है जो मर्तक के परिवार वालों द्वारा विधि पूर्वक किए जाएं तो मृतक की आत्मा को मुक्ति मिलती है।
और इन्हीं कर्मो में से एक है अंतिम समय के दौरान किए जाने वाली कपाल क्रिया, जिसमें चिता में जल रहे शव के सिर पर तीन बार डंडा मारा जाता है लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों किया जाता है।
और शव के सिर पर डंडा मारने का हमारे ग्रंथों में क्या महत्व बताया गया है, अगर नही जानते तो कोई बात नहीं, आज की इस पोस्ट में हम आपको इसी बारे में बता रहे है।
अंतिम संस्कार के समय शव के सिर पर तीन बार डंडा क्यों मारा जाता है
गरुड़ पुराण में मनुष्य के अंतिम संस्कार को लेकर एक निश्चित विधि विधान का वर्णन मिलता है जिसका पालन हिन्दू धर्म में शव के अंतिम संस्कार के समय होता ही है।
हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के समय शव को मुखाग्नि दिए जाने के बाद बांस के डंडे पर एक लोटा बांधकर शव के सिर पर घी डाला जाता है, ऐसा इसलिए करते है ताकि शव का सिर अच्छे से जल सके।
क्योंकि इंसान के शरीर की हड्डी बाकी अंगों की अपेक्षा ज्यादा कठोर होती है। इसीलिए उसे अच्छे से अग्नि में नष्ट करने के उद्देश्य से शव की सिर पर घी डाला जाता है।
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के समय मृतक के सिर को डंडे से मार कर फोड़ दिया जाता है। इसके निम्न कारण है।
आखिर क्यों मारा जाता है शव को जलाते समय सिर पर डंडा, कारण जानिए।
तंत्र मंत्र करने वाले श्मशान घाट से मृतक की खोपड़ी लेकर अपनी साधना कर सकते है। इस वजह से मृत व्यक्ति की आत्मा उन अघोरियों या पिशाच पूजन करने वाले की गुलाम बन सकती है इसलिए खोपड़ी को तोड़ कर नष्ट कर देते है।
कुछ लोगों का कहना है कि इस जन्म की स्मृति अगले जन्म में मृतात्मा के साथ ना जाए इसलिए खोपड़ी तोड़ दी जाती है।
खोपड़ी का प्रयोग आत्माओं को अपना गुलाम बनाने वाले करते है इनसे बचाव के लिए यह संस्कार किया जाता है।
ऐसा भी माना जाता है की सिर में ब्रह्मा का वास माना गया है। इसीलिए शरीर को पूर्ण रूप से मुक्ति प्रदान देने के लिए कपाल क्रिया की जाती है। जिसके लिए मस्तिष्क में स्थित ब्रह्मरंध्र पंचतत्व का पूर्ण रूप से विलीन होना आवश्यक है। इसीलिए कपाल क्रिया को अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में महत्ता दी गई है।
दोस्तों हिंदू धर्म में बताई गई कपाल क्रिया से जुड़ी यह मान्यताएं और विधि हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए किसी नियम से कम नही है।
फिर चाहे इस मान्यता में विश्वास रखते है या नही यह मान्यताएं अप्रत्यक्ष रूप से आपके जीवन से लेकर मरण तक आप से जुड़ी हुई है। इसीलिए इनके बारे में जानना आपके लिए अति आवश्यक हो जाता है।
इस पोस्ट में हमने आपको हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के समय लाश के सिर पर तीन बार डंडा क्यों मारा जाता है, के बारे में बताया है। उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो,
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