आप जानते है की किन्नरों की शव यात्रा रात में क्यों निकालते है। अगर आप नही जानते है तो इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की किन्नरों की शव यात्रा रात में क्यों निकालते है।
यह तो आप जानते ही होंगे की जो यह किन्नर होते है इन्हे तीसरे लिंग का दर्जा प्राप्त है और इन किन्नरों का समाज हमारे समाज से अलग ही होता है।
किन्नरों की शव यात्रा रात में ही क्यों निकालते है – Kinnaro ki Shav Yatra
इन किन्नरों का रहने का तरीका, काम करने का तरीका आदि हम लोंगो से अलग ही रहते है। यह लोग एक अलग ही तरह की दुनिया में रहते है। इसलिए हम लोगों को इनके बारे में जानकारी बहुत कम है।
क्या आप जानते है की जब किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है और किन्नर की शव यात्रा रात के समय में ही क्यों निकाली जाती है।
दरअसल इनकी शव यात्रा में बहुत सारे राज छिपे हुए होते है। तो चलिए जानते है की किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे होता है।
मौत के बाद मातम नही खुशी मनाना
आपको जानकार आश्चर्य होगा की किन्नर की मौत के बाद ये लोग मातम नही मनाते है बल्कि ख़ुशी मनाते है। इनका मानना है की मरने के बाद उसे इस नरक रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है।
इस ख़ुशी में ये लोग मंदिरों में दान दक्षिणा भी करते है और भगवान से प्रार्थना करते है की उनके मरने वाले साथी का अगला जन्म इस किन्नर रूप में ना हो।
Kinnaro ki Shav Yatra
शव को जुत्ते चप्पलों से पिटाना
जब किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो उसके शव को पहले जुत्ते चप्पलों से पीटा जाता है और उसके बाद उठाया जाता है। ये करने के पीछे उनका मानना है की जो पाप उस किन्नर ने इस जन्म में किये है उनका प्रायश्चित हो जाता है।
किसी भी किन्नर की मौत के बाद पूरा समुदाय एक हफ्ते तक भूखा रहता है यहाँ तक की किन्नर समुदाय भी इस तरह की रस्मों-रिवाजों से मना नही करता है।
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इनके बारे में यह भी कहा जाता है की जब किसी किन्नर की मौत होती है तो शव को सभी से छुपा कर रखा जाता है और उसका अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है।
किन्नर की मौत के बाद उसके शव को किसी आम इंसान को नही दिखाया जाता है।
इसके पीछे मान्यता है की कोई सामान्य इंसान इनकी शव यात्रा को नही देख सके अन्यथा मरने वाले किन्नर का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा।
किन्नर समुदाय वैसे तो हिन्दू धर्म को मानते है लेकिन ये लोग शव का अंतिम संस्कार जलाकर नही बल्कि दफनाकर करते है।
आशा करते है इस पोस्ट के जरिये अब आपको अच्छे से पता लग गया होगा की किन्नरों की शव यात्रा रात में ही क्यों निकलते है।
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