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You are at:Home»Knowledge»हर सामान की रेट 1 रूपए कम क्यों लिखी होती है ? जानें इसके कारण
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हर सामान की रेट 1 रूपए कम क्यों लिखी होती है ? जानें इसके कारण

By VikramAugust 7, 20204 Mins Read
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Samaan ki kimat ek rupye Kam kyon Hoti hai
Samaan ki kimat ek rupye Kam kyon Hoti hai
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Samaan ki kimat ek rupye Kam kyon Hoti hai – जब हम कोई सामान बाजार में खरीदने जाते है तो ज्यादातर सामान पर रेट एक रुपए कम जैसे 99, 199, 249, 299, 499 आदि तरह से लिखी हुई होती है।

क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है। क्यों दुकानदार इस तरह से सामान की रेट एक रुपए कम रखते है ? वो सामान की रेट 99 से 100 रूपए भी तो कर सकते है जिससे की एक रूपए वापस करने की भी जरूरत नही पड़ेगी।

तो चलिए इस पोस्ट के माध्यम से जानते है की ज्यादातर सामान पर रेट एक रुपए कम क्यों लिखी होती है।

Samaan ki kimat ek rupye Kam kyon Hoti hai

दोस्तों सामान पर एक रुपए रेट कम लिखने से विक्रेता को ही फायदा होता है जिसको हम अक्सर नजरअंदाज कर देते है।

अब आप सोच रहे होंगे की एक रुपए रेट कम लिखने से विक्रेता को किस तरह से फायदा होता है। तो दोस्तों आपको बता दे की ऐसा करने से विक्रेता को दो बडे फायदे होते है।

पहला फायदा

विक्रेता को जो पहला फायदा होता है वो मनोवैज्ञानिक तरीके से ग्राहक को सामान को खरीदने के लिए प्रेरित करने के लिए होता है।

दरअसल हमारा दिमाग किसी भी नंबर को हमेशा राउंड फिगर में पढ़ता है और साथ ही लेफ्ट से राइट की तरफ पढ़ता है, ऐसे में हमारा दिमाग आखिरी नंबर की तरफ ज्यादा ध्यान नही देता है।

जैसे मान लो किसी वस्तु का मूल्य 18499 रुपए है तो ज्यादातर लोग उस वस्तु को 18000 रूपए समझकर खरीद लेते है।

इस तरह से विक्रेता मनोवैज्ञानिक तरीके से लोगों की सोच का फायदा उठाते है।

मतलब विक्रेताओं ने ग्राहकों को सामान खरीदने के प्रति आकर्षित करने के लिए बहुत ही अच्छा नायाब तरीका निकाला है जो कि 99 % तक कामयाब भी है।

दूसरा फायदा

जब हम किसी मॉल से सामान खरीदते है और मान लो उस सामान की कीमत 799 या 599 आदि है तो काउंटर पर बिल का भुगतान करते समय ज्यादातर लोग एक रुपया वापिस नही लेते है।

मान लीजिए आप ने 999 रूपए का कोई पेंट खरीदा और काउंटर पर एक हजार रुपए दिए फिर आप सोचते है की एक रुपए के लिए यहां पर क्या रुके रहना और ऐसा सोचकर आप वहां से चले जाते है।

कई बार विक्रेता आपको एक रूपए के बदले कोई सस्ती सी टॉफी दे देता है तो कुछ लोग उस टॉफी को लेते है और कुछ लोग उस टॉफी को लेते भी नही है।

अब आप मान लो उस मॉल में रोजाना 1000 लोग शॉपिंग के लिए जाते है और उनमें से 100 लोग अपना एक रुपया लेना छोड़ देते है।

इस तरह से विक्रेता को रोजाना 100 रूपए का फायदा हो रहा है और इस फायदे को वह विक्रेता किसी अकाउंट में नही लिखता है।

इस तरह से विक्रेता को एक साल में 36500 रूपए का फायदा होता है।

Samaan ki kimat ek rupye Kam kyon Hoti hai

अब मान लो उस विक्रेता के पूरे देश में 100 रिटेल आउटलेट है और सभी में ये ही प्रोसेस चल रहा हो तो विक्रेता को एक साल में 3650000 का अतिरिक्त फायदा होता है।

जिसे वो विक्रेता किसी भी अकाउंट में रिकॉर्ड नही करता है यानी वो पूरी तरह से ब्लैक मनी होती है।

अगर मान लो विक्रेता आपको एक रूपए के बदले एक टॉफी भी देता है तो भी वह लाखों रुपए कमा लेता है क्योंकि 100 टॉफी का पैकेट उसको 25-30 रूपए में पड़ता है।

लेकिन विक्रेता आपको एक रूपए में एक टॉफी देता है इस तरह से आप समझ सकते है कि वह विक्रेता आपको टॉफी देकर भी कितना कमाता है।

हालांकि इस दूसरे फायदे पर अभी काफी हद तक लगाम लग चुकी है क्योंकि ज्यादातर लोग अब ऑनलाइन पेमेंट करते है जिससे वो जितना बिल होता है उतना ही बिल चुकाते है।

निष्कर्ष,

दोस्तों अब आप को अच्छी तरह से पता चल गया होगा की सामान पर रेट एक रुपए कम क्यों लिखी होती है। आशा करते है यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो।

यह पोस्ट आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताए और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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Vikram

A curious mind and passionate writer, Vikram channels his love for deep insights and candid narratives at ThinkDear. Exploring topics that matter, he seeks to spark conversations and inspire readers.

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