Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter – चाणक्य नीति एक ऐसा महान ग्रंथ है जो कि आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित है। इसमें कुल 17 अध्याय है, इन अध्यायों में आचार्य चाणक्य जी ने नीति शास्त्रों के बारे में बताया है।
अगर आप भी इन नीतियों को अपनाते हो और इनका अनुसरण करते हो तो आपका जीवन सुखमय हो सकता है। तो चलिए पढ़ते है इस पोस्ट में Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter के बारे में।
Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter – चाणक्य नीति, पांचवा अध्याय
1.क्षत्रिय और वैश्य का गुरु अग्नि होती है, ब्राह्मण चारों वर्णों का गुरु होता है, स्त्रियों के लिए उनका पति ही गुरु माना जाता है और एक अतिथि सबके लिए ही गुरु के समान होता है।
2.जिस तरह से सोने की परख घिसकर, काटकर, गर्म करके और पीटकर की जाती है, ठीक उसी प्रकार एक इंसान की परख त्याग, शील, गुण और कर्म इन चारों से की जाती है।
3.अगर आप पर कोई विपत्ति नही आती है तो उससे आपको सावधान रहना चाहिए, लेकिन अगर आप पर विपत्ति आ जाती है तो किसी भी तरह आपको उसे दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।
4.एक ही माता पिता से और समान नक्षत्र में जन्मे बच्चे भी गुण और स्वभाव में एक जैसे नही होते है जैसे एक बैर के पेड़ पर बैर और कांटे दोनों लगते है।
5.एक अधिकारी व्यक्ति का लोभहीन होना मुश्किल है, श्रंगार का प्रेमी कामुक हुए बिना नही रह सकता है, मूर्ख लोग मीठे और अच्छे बोल नही बोल सकते है, इसी प्रकार स्पष्ट बात करने वाला इंसान कभी धोखा नही दे सकता है।
Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter
6.जो लोग मूर्ख होते है उनके शत्रु बुद्धिमान लोग होते है, गरीब लोगों के शत्रु धनवान लोग होते है, विधवा औरतों की सुहागिन औरतें शत्रु होती है, इसी प्रकार वेश्याएं, पतिव्रता स्त्रियों से ईर्ष्या करती है, अर्थात उनकी शत्रु होती है।
7.आलस्य करने से विद्या नष्ट होती है, किसी दूसरे के अधिकार में गया हुआ पैसा वापस नही आता है, खेत में बुआई करते समय बीज कम डालने पर फसल कम होती है, इसी तरह सेनापति नही होने पर सेना नष्ट हो जाती है।
8.लगातार अभ्यास करने से विद्या आती है, अच्छा व्यवहार करने से घर की इज्जत सुरक्षित रहती है, अच्छे गुणों के कारण इंसान को मान सम्मान मिलता है और किसी भी व्यक्ति का गुस्सा उसकी आंखो में प्रकट हो जाता है।
9.धर्म की रक्षा धन से होती है, विद्या की रक्षा योग साधना से होती है, राजा की रक्षा सरल स्वभाव से होती है, इसी प्रकार घर की रक्षा एक दक्ष गृहणी से होती है।
10.जो लोग वेदों के ज्ञान को व्यर्थ बताते है, शास्त्रों के आदेशों की निन्दा करते है और श्रेष्ठ इंसान का मजाक उड़ाते है, ऐसे लोग बिना किसी कारण के दुख प्राप्त करते है।
Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter
11.दान दरिद्रता को समाप्त करता है, अच्छा व्यवहार दुर्भाग्य को समाप्त करता है, बुद्धि अज्ञानता को समाप्त करता है, ऐसे ही श्रद्धा से भय का नाश होता है।
12.काम वासना से बुरा कोई दूसरा रोग नही, मोह की तरह कोई दूसरा दुश्मन नही, क्रोध के समान दूसरी कोई अग्नि नही, इसी तरह ज्ञान से अच्छा कोई दूसरा सुख नही।
13.एक इंसान अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही मृत्यु प्राप्त करता है, इंसान अकेले ही अपने पाप पुण्य के फल को भोगता है, ऐसे ही अकेले नरक में जाता है और अकेले ही सदगती प्राप्त करता है।
14.जो लोग ज्ञानी होते है उनकी नजर में स्वर्ग एक तिनके के समान है, जो लोग पराक्रमी योद्धा होते है, उनके लिए यह जीवन तिनके के समान होता है, जिसने अपनी काम वासना पर काबू पा लिया उस व्यक्ति के लिए एक सुंदर स्त्री तिनके के समान है, इसी प्रकार यह सारा संसार उस आदमी के लिए तुच्छ है जिसके मन में कोई कामना नही हो या जो निलोभी हो।
15.जब आप कहीं बहार जाते है तो आपका ज्ञान (विद्या) ही आपका दोस्त होता है, अपने घर में आपकी पत्नी ही दोस्त होती है, बीमार लोगों के लिए उनकी दवा ही दोस्त होती है, ऐसे ही मृत्यु के बाद आदमी का दोस्त उसका अर्जित पुण्य होता है।
Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter
16.समुंद्र के लिए वर्षा का होना बेकार है, जिस व्यक्ति का पेट भरा हो उसके लिए भोजन बेकार है, धनवान व्यक्ति के लिए दान देना व्यर्थ है, इसी तरह दिन में जलता हुआ दिया बेकार है।
17.वर्षा के जल के समान दूसरा कोई जल नही, स्वयं के बल के समान कोई दूसरा बल नही, आंखो की रोशनी के समान दूसरा कोई प्रकाश नही, ऐसे ही अन्न से बढ़कर कोई प्रिय वस्तु नही।
18.गरीब लोग धन की कामना करते है, पशु बोलने की कामना करते है, इंसान स्वर्ग की कामना करता है और इसी प्रकार देवता मोक्ष की कामना रखते है।
19.यह पूरा संसार सत्य पर टिका हुआ है, सत्य की शक्ति से ही सूर्य चमकता है, सत्य की शक्ति से ही हवाएं चलती है अर्थात सब कुछ ही सत्य पर आश्रित होता है।
20.धन सम्पत्ति चंचल होती है, आदमी के प्राण भी चंचल होते है, जीवन और युवावस्था भी चंचल होती है, इस चलते फिरते संसार में केवल एक धर्म ही है जो स्थिर रहता है।
21.पुरषों में नाई सबसे चालाक होता है, पक्षियों में एक कौआ सबसे चालाक होता है, पशुओं में लोमड़ी सबसे ज्यादा चालाक होती है, ऐसे ही औरतों में मलिन सबसे चालाक होती है।
22.इंसान को जन्म देने वाला, उसका यज्ञोपवित संस्कार करने वाला, शिक्षा देने वाला शिक्षक, आपको भोजन देने वाला और आपकी रक्षा करने वाला, ये सब आपके पिता कहे गए है।
- चाणक्य नीति, चौथा अध्याय – Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter
- चाणक्य नीति, तीसरा अध्याय – Chanakya Niti in Hindi Third Chapter
निष्कर्ष,
इस पोस्ट में हमने आपको Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter के बारे में बताया है, आशा करते है की आपको यह चाणक्य नीति का पांचवां अध्याय पसंद आया हो,
आपको यह चाणक्य नीति का यह अध्याय कैसा लगा, हमें कमेंट करके जरूर बताए और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें।
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