Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter – दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको चाणक्य नीति के चौथे अध्याय के बारे में बता रहे है। आचार्य चाणक्य जी ने अपना संपूर्ण जीवन बहुत ही सादगी से बिताया था। वह सादा जीवन उच्च विचार के सही प्रतीक थे।
उन्होनें हमेशा मर्यादाओं का पालन किया और उन्हें कभी भी अपने पद, धन और यश का कोई लोभ नही था। इसीलिए इनका जीवन आज भी अनुसरण करने योग्य है। तो चलिए पढ़ते है आज की इस पोस्ट में Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter के बारे में।
Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter – चाणक्य नीति, चौथा अध्याय
1.व्यक्ति की उम्र कितनी होगी उसके कर्म कैसे होंगे, उसके पास धन कितना होगा, वो कितना ज्ञानी होगा और उसकी मौत कब होगी, यह सभी बातें मां के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है।
2.पुत्र, दोस्त, भाई बन्धु ये सभी लोग साधु और संत लोगों से दूर भागते है, लेकिन जो लोग संत लोगों की बातों को मानते है और उनका अनुसरण करते है, तो उन लोगों में भक्ति की भावना जागृत हो जाती है और भक्ति से मिलने वाले पुण्य से उसका सारा परिवार धन्य हो जाता है।
3.जिस तरह से मछली देखकर, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चों का लालन पालन करते है, उसी तरह संत पुरषों की संगति इंसान का पालन पोषण करती है और उनकी भलाई करती है।
4.जब तक आपका शरीर स्वस्थ है, निरोगी है और आपके नियंत्रण में है तब तक आपको धर्म कर्म और पुण्य कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद यह संभव नही है।
5.विद्या ग्रहण करना कामधेनु के समान है जो की हर समय फलदायी होती है, यह विदेश में मां के समान रक्षा करने वाली और हितकारी होती है, इसीलिए विद्या को गुप्त धन कहा जाता है।
Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter
6.सैकड़ों गुणहीन पुत्रों से तो अच्छा एक गुणी पुत्र होता है क्योंकि रात के अंधेरे को केवल एक चंद्रमा ही हटाता है किन्तु असंख्य तारे उस अंधकार का नाश नही कर पाते है।
7.एक लम्बी आयु के मूर्ख लड़के की अपेक्षा पैदा होते ही मर जाने वाला पुत्र ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि पैदा होकर मर जाने वाला पुत्र तो थोड़े समय के लिए ही दुःख देता है जबकि मूर्ख पुत्र तो जिंदगी भर अपने माता पिता को दुःखी रखता है।
8.ऐसे गांव में रहना जहां रहने लायक सुविधाऐं नही हो, कुलहीन व्यक्ति के यहां नौकरी करना, अस्वास्थ्यवर्धक भोजन करना, जिसकी पत्नी गुस्सा करने वाली हो, जिसका बेटा मूर्ख हो और जिसकी बेटी विधवा हो गई हो, ये चीजें आदमी को बिना अग्नि के ही जला देती है।
9.ऐसी गाय किस काम की जो न दूध देती है और न ही गर्भधारण करती है, उसी प्रकार वह पुत्र भी किस काम का जो न तो बुद्धिमान हो और न ही भक्तिमान हो।
10.जो व्यक्ति अपने जीवन में बहुत ज्यादा दुखी है तो उसे केवल बुद्धिमान पुत्र, पतिव्रता स्त्री और सज्जन लोगों की संगति ही उसे सहारा दे सकती है।
Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter
11.राजा एक बार ही आज्ञा देते है, बार बार आज्ञा नही देते है, विद्वान लोग भी सिर्फ एक बार ही बोलते है इसी तरह लड़की का विवाह भी एक बार ही किया जाता है।
12.तप अकेले करना चाहिए, अभ्यास हमेशा दो लोगों के बीच सही रहता है, गायन करें तो तीन लोगों के साथ करें, यात्रा में चार लोगों का साथ उत्तम होता है, कृषि कार्यों में पांच लोगों का होना सही रहता है और युद्ध में बहुत सारे लोग होने चाहिए।
13.उत्तम पत्नि वह होती है जो पवित्र होती है, पतिव्रता होती है, जिससे उसका पति प्रेम करता हो और सत्यवादी हो, ऐसी पत्नी अच्छी, श्रेष्ठ और गुणी होती है।
14.जिस व्यक्ति के पुत्र नही होता है उसका घर सुना माना जाता है, जिस व्यक्ति के भाई बंधु और सम्बंधी नही होते है उसकी सभी दिशाएं खाली होती है, मूर्ख इंसान का दिल खाली होता है और जो व्यक्ति गरीब है उसका तो घर, दिशा आदि सब कुछ ही खाली होता है।
15.जिसने अभ्यास नही किया उसके लिए शास्त्र जहर के समान है, जिसका पेट खराब है उसके लिए भोजन जहर के समान है, गरीब इंसान के लिए सभा विष के समान होती है, उसी तरह वृद्ध आदमी के लिए स्त्री जहर के समान होती है।
Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter
16.जिस आदमी में दया धर्म नही है उससे दूर रहना चाहिए, जिस गुरु के पास आध्यात्मिक ज्ञान नही है उसका त्याग कर देना चाहिए, सदैव गुस्सा करने वाली पत्नी को त्याग देना चाहिए और ठीक इसी प्रकार जिन रिश्तेदारों में प्रेम भाव नही है उनका भी त्याग कर देना चाहिए।
17.आदमी को बहुत ज्यादा पैदल चलना बूढ़ा बना देता है, घोड़े को बांधकर रखना बूढ़ा बना देता है, अगर स्त्रियां संभोग नही करती है तो वो बूढी हो जाती है, इसी तरह कपड़ों को धूप में रखने पर वो पुराने हो जाते है।
18.आपका समय कैसा है, आपके दोस्त कैसे है, आपके रहने कि जगह कैसी है, आपके धन कमाने के स्रोत क्या है और धन को खर्च करने का तरीका क्या है और आपके ऊर्जा के स्रोत क्या है, इन सभी विषयों पर आपको चिंतन करते रहना चाहिए।
19.हमको जन्म देने वाले पिता, संस्कार करने वाला पुरोहित, विद्या देने वाला गुरु, अन्नदाता और भय से हमारी रक्षा करने वाला, इन सभी को हमे पितरों की तरह पूजना चाहिए।
20.राजा की पत्नी, गुरु की पत्नी, मित्र की पत्नी, पत्नी की मां यानी सास और अपनी मां, इन सभी को मां के समान ही मानना चाहिए।
21.अग्नि देव ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वेश्यो के देवता है, ऋषि मुनियों के देवता ह्रदय में होते है, अल्प बुद्धि वालों के देवता मूर्तियों में होते है और सारे संसार को समान रूप से देखने वालों के देवता सभी जगहों पर निवास करते है।
- चाणक्य नीति, दूसरा अध्याय – Chanakya Niti in Hindi Second Chapter
- चाणक्य नीति, पहला अध्याय – Chanakya Niti in Hindi First Chapter
निष्कर्ष,
इस पोस्ट में हमने आपको Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter के बारे में बताया है। आशा करते है की आपको यह चाणक्य नीति का चौथा अध्याय पसंद आया हो।
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