Chanakya Niti in Hindi Third Chapter – दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको चाणक्य नीति के तीसरे अध्याय के बारे में बता रहे है। आचार्य चाणक्य ने इन नीतियों के माध्यम से मित्रता, कर्तव्य, पत्नी, बच्चे, धन, जीवन, व्यवसाय, समाज आदि के बारे में बताया है।
अगर आप इन नीतियों को पढ़ते है और उनका अनुसरण करते है तो यह आपकी लाइफ को सरल बनाकर आपको कामयाबी की ओर ले जाती है। तो चलिए पढ़ते है आज की इस पोस्ट में Chanakya Niti in Hindi Third Chapter के बारे में।
Chanakya Niti in Hindi Third Chapter – चाणक्य नीति, तीसरा अध्याय
1.इस संसार में ऐसा कौनसा परिवार है जिस पर कोई दोष नही है, ऐसा कौन है जो किसी रोग से पीड़ित नही हुआ, ऐसा कौन है जो दुखों से मुक्त है, हमेशा सुखी कौन रहता है।
2.इंसान के कुल की कीर्ति, उसके आचरण से होती है, देश की कीर्ति, इंसान की बोल चाल से होती है, मनोभाव उसके प्रेम को प्रकट करते है और मनुष्य के शरीर का गठन उसके द्वारा किए गए भोजन का परिचय देता है।
3.अपनी पुत्री का विवाह एक अच्छे परिवार में करना चाहिए, अपने पुत्र को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए, अपने दुश्मन को गंदी और बुरी संगत में फंसाना चाहिए और अपने दोस्तों को धर्म कर्म में डालना चाहिए।
4.अगर एक दुष्ट प्रवृत्ति के व्यक्ति और सर्प में तुलना की जाए तो सर्प ही बेहतर होता है, क्योंकि एक सर्प तो आपको तभी काटेगा जब उसकी जान को खतरा हो, लेकिन एक दुष्ट प्रवृत्ति का व्यक्ति आपको कदम कदम पर हानि पहुंचाने की कोशिश करता है।
5.एक राजा अपने साथ अच्छे परिवार के लोगों को इसलिए रखता है, क्योंकि इस तरह के लोग न तो शुरुआत में, न मध्य में और न ही अंत में साथ छोड़कर जाते है और मुश्किल समय में भी उनका साथ देते है।
Chanakya Niti in Hindi Third Chapter
6.जब कभी प्रलय का समय आता है तो सागर भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ देता है मतलब तटों को भी पार कर जाता है, लेकिन सज्जन और भले लोग प्रलय जैसी आपत्ति और विपत्ति आने पर भी अपनी मर्यादा नही छोड़ते है।
7.मूर्ख लोगों के साथ दोस्ती नही रखनी चाहिए, उनको छोड़ देना ही सही होता है, क्योंकि वो दो पैरों वाले जानवर की तरह होते है, जो अपनी चुभने वाली बातों से उसी तरह हृदय को दर्द देते है जिस तरह से एक न दिखाई देने वाला कांटा पांव में चुभकर दर्द देता रहता है।
8.बहुत ही सुन्दर, युवा अवस्था से संपन्न और बड़े परिवार में पैदा होने पर भी विद्या हीन व्यक्ति ऐसे फूल के समान होते है जो सुंदर तो होते है लेकिन खुशबू रहित होते है।
9.एक कोयल की सुंदरता उसकी वाणी में होती है, एक औरत की सुंदरता उसके अपने परिवार के प्रति समर्पण में होती है, एक कुरूप व्यक्ति की सुंदरता उसके ज्ञान में होती है और एक साधु की सुंदरता उसकी क्षमाशीलता में होती है।
10.अपने परिवार की रक्षा करने के लिए अगर एक सदस्य को छोड़ना पड़े तो छोड़ देना चाहिए, अपने गांव की रक्षा करने के लिए जरूरत पड़े तो अपने परिवार को त्याग देना चाहिए, देश की रक्षा करने के लिए अपने गांव को छोड़ देना चाहिए और खुद की आत्मा की रक्षा करने के लिए इस पृथ्वी का त्याग कर देना चाहिए।
Chanakya Niti in Hindi Third Chapter
11.मेहनत करने वाले लोग कभी गरीब नही हो सकते, हर वक्त ईश्वर को याद करने वाले लोग कभी पाप नही करते, जो लोग मौन रहते है वे कभी झगड़े नही करते और जागरूक रहने वाले लोग निर्भय होते है।
12.अधिक सुंदर होने के कारण ही सीता का अपहरण हुआ, ज्यादा घमंड करने के कारण ही रावण का विनाश हुआ, अत्यधिक दान देने के कारण ही राजा बलि को बंधन में रहना पड़ा, इसलिए अति का त्याग कर देना चाहिए।
13.समर्थ लोगों के लिए कोई भी काम मुश्किल नही होता है, व्यापारी लोगों के लिए कोई भी स्थान दूर नही होता है, विद्वान लोगों के लिए कोई देश विदेश नही है और जो लोग मीठे बोल बोलते है उनका कोई दुश्मन नही होता है।
14.जिस प्रकार एक सुगंधित पेड़ से सारा वन सुशोभित हो जाता है, ठीक उसी प्रकार एक गुणवान पुत्र पूरे कुल का नाम रोशन कर देता है।
15.जिस तरह से एक जलता हुआ सूखा पेड़ पूरे जंगल को जला देता है ठीक उसी तरह एक कुपुत्र सारे कुल की मान मर्यादा और प्रतिष्ठा को खत्म कर देता है।
Chanakya Niti in Hindi Third Chapter
16.जैसे रात में चंद्रमा की रोशनी के कारण रात भी जगमगा जाती है, वैसे ही कुल में एक सुपुत्र होने पर पूरे कुल की मान मर्यादा और प्रतिष्ठा बढ़ जाती है और सारा परिवार खुशी से जगमगा उठता है।
17.बहुत सारी ऐसी संतान किस काम की जो शोक और निराशा उत्पन्न करे, इससे अच्छी तो वो एक ही संतान होती है जो सारे परिवार को खुश और सुखी रखती है।
18.आपको अपनी संतान से पांच साल तक लाड प्यार से पालन करना चाहिए, दश साल तक उनके साथ सख्ती से पेश आए और जब आपकी संतान सोलह साल की हो जाए तो उसके बाद आपको उनसे एक दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए।
19.जो व्यक्ति आग लगने पर, कोई आपदा आने पर, विदेशी आक्रमण होने पर, अकाल पड़ने पर, खराब संगति, इन सभी परिस्थितियों से दूर भाग जाता है तो वह सुरक्षित रह सकता है।
20.जो लोग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में से किसी एक की प्राप्ति कि कोशिश नही करते है, वो लोग सिर्फ मरने के लिए ही बार बार जन्म लेते है मतलब ऐसे लोगों का इस धरती पर जन्म लेना बिल्कुल व्यर्थ है।
21.जिस स्थान पर मूर्ख लोगों की पूजा नही होती है, जहां खाने के अनाज का अच्छे से भंडारण किया जाता है और जहां पति पत्नी में झगड़ा नही होता है वहां धन की देवी माता लक्ष्मी खुद वहां निवास करने आती है।
निष्कर्ष,
इस पोस्ट में हमने आपको Chanakya Niti in Hindi Third Chapter के बारे में बताया है। आशा करते है की आपको यह चाणक्य नीति का तीसरा अध्याय पसंद आया हो।
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