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Chanakya Niti

चाणक्य नीति, छठा अध्याय – Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter

By VikramApril 13, 20216 Mins Read
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Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter
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Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter – आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए चाणक्य नीति का छठा अध्याय लेकर आए है। इससे पहले हम आपको पांच अध्यायों के बारे में बता चुके है। उम्मीद है आपको यह चाणक्य नीति के अध्याय पसंद आ रहें है।

चाणक्य नीति में कुल सत्रह अध्याय है, सभी अध्याय में आचार्य चाणक्य जी ने नीतिशास्त्र की बातों के बारे में बताया है, जो की आज के दौर में भी सभी के लिए लाभकारी साबित हो रही है।

आइए आज की इस पोस्ट में पढ़ते है जीवन की सच्चाई को बताने वाली आचार्य चाणक्य जी की नीतियों के बारे में, जो की इसी Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter में बताई गई है।

Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter – चाणक्य नीति, छठा अध्याय

1.इंसान शास्त्रों को पढ़कर और सुनकर धर्म को जान सकता है, ईर्ष्या को दूर कर सकता है, ज्ञान को प्राप्त कर सकता है और मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।

2.सभी पक्षियों में कौआ सबसे नीच (दुष्ट) होता है, सभी पशुओं में एक कुत्ता सबसे नीच होता है, साधुओं में जो पापी होता है वह सबसे ज्यादा दुष्ट होता है, इसी प्रकार जो दूसरे लोगों की चुगली और निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल होता है।

3.पीतल का बर्तन राख से मांजने पर अच्छा साफ होता है, तांबे का बर्तन इमली से मांजने पर अच्छा साफ होता है, स्त्रियां प्रदर से शुद्ध होती है और बहती हुई नदी साफ व स्वच्छ रहती है।

4.जब एक राजा, एक ब्राह्मण और एक तपस्वी साधु किसी दूसरे देश में जाते है तो वह लोग आदर सम्मान पाते है, वहीं अगर एक औरत कहीं भटक जाए तो वह बर्बाद हो जाती है।

5.जिस आदमी के पास पैसा है उसके बहुत सारे मित्र होते है और उसके बहुत सारे भाई बंधु होते है, धनवान व्यक्ति की पुरुष कहलाता है और वो ही पंडित कहलाता है।

Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter

6.सर्व शक्तिमान के चाहने से ही बुद्धि काम करती है, वही कर्मो को नियंत्रित करता है, उसी के चाहने से आस पास में सहायता करने वाले आ जाते है।

7.काल यानी समय ही सभी प्राणियों को निपुण बनाता है, वो ही सभी प्राणियों का संहार करता है, जब सभी प्राणी सो जाते है तो भी वह जागता रहता है, काल की सीमा को कोई जीत नही सकता है।

8.जो लोग जन्म से अंधे होते है वो कुछ भी नही देख पाते है, इसी तरह जो काम वासना के अधीन है उनको भी कुछ दिखाई नही देता है, घमंडी आदमी को भी ऐसा नही लगता है कि वह कुछ बुरा कर रहा है और जो लोग धन के पीछे पड़े है उन्हें उनके कर्मो में कोई दोष दिखाई नही देता है।

9.सभी जीव आत्मा अपने कर्म के मार्ग से ही जाती है, जो भी अच्छे बुरे कर्म करता है उन्हें स्वयं भोगता है, अपने ही कर्मो से वह इस संसार में रहता है और अपने ही कर्मो के बंधनों के अनुसार इस संसार से चला जाता है।

10.एक राजा अपने नागरिकों के पाप को भोगता है, एक पुजारी राजा के पाप को भोगता है, एक पति अपनी पत्नी के द्वारा किए गए पाप को भोगता है, ठीक उसी प्रकार एक गुरु अपने शिष्यों के पाप को भोगते है।

Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter

11.अपने खुद के घर में एक आदमी के ये दुश्मन हो सकते है, एक पिता जो हमेशा कर्ज में डूबा रहता है, एक माता अगर वह किसी दूसरे आदमी से सम्बन्ध रखती है, खुद की सुंदर पत्नी और खुद का अशिक्षित लड़का।

12.अगर कोई इंसान लालची है तो उसको कोई भेंट या उपहार देकर संतुष्ट करना चाहिए, यदि कोई इंसान घमंडी है तो उसको हाथ जोड़कर संतुष्ट करना चाहिए, एक अज्ञानी व्यक्ति को सम्मान देकर संतुष्ट करना चाहिए और इसी तरह एक ज्ञानी इंसान को सत्य बोलकर संतुष्ट करना चाहिए।

13.एक व्यर्थ राज्य का राजा बनने से अच्छा है की आदमी किसी भी राज्य का राजा न हो, दुष्ट और कपटी मित्र के साथ रहने से अच्छा है की आदमी बिना मित्र के ही रहें, एक मूर्ख आदमी के गुरु होने से अच्छा है की आदमी बिना शिष्य वाला हो, एक बुरी पत्नी होने से अच्छा है की आदमी बिना पत्नी वाला हो।

14.दुर्जन राजा के राज्य में प्रजा सुखी कैसे रह सकती है, एक दुष्ट प्रवृत्ति के मित्र से शांति कैसे प्राप्त हो सकती है, एक बेकार पत्नी के साथ घर में कौनसा सुख प्राप्त हो सकता है और इसी प्रकार एक नालायक शिष्य को शिक्षा देकर कैसे यस प्राप्त हो सकता है।

Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter

15.शेर और बगुले से एक एक बात सीखनी चाहिए, गधे से तीन बातें, मुर्गे से चार बातें, कौंवे से पांच और कुत्ते से छ: बातें सीखनी चाहिए।

  • चाणक्य नीति, पांचवा अध्याय – Chanakya Niti in Hindi Fifth Chapter
  • चाणक्य नीति, चौथा अध्याय – Chanakya Niti in Hindi Forth Chapter

16.किसी भी काम को शुरू करने के बाद छोड़ना नही चाहिए फिर चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा हो, उस काम को पूरी लगन और मेहनत के साथ करना चाहिए, जैसे कि एक शेर पकड़े हुए शिकार को कभी नही छोड़ता है, इसी तरह का गुण हमें शेर से जरूर लेना चाहिए।

17.एक व्यक्ति को अपनी संपूर्ण इन्द्रियों पर संयम में रखकर कार्य करना चाहिए मतलब आदमी को एकाग्रता के साथ अपना काम करना चाहिए, तभी वो कामयाब हो सकता है, क्योंकि एक बगुला भी अपनी संपूर्ण इन्द्रियों को संयम में रखकर अपना शिकार करता है, इस तरह का गुण हमें बगुले से जरूर लेना चाहिए।

Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter

18.बहुत ज्यादा थक जाने पर भी बोझ को ढोना, सर्दी गर्मी आदि का कोई विचार न करना और हमेशा संतोषपूर्वक रहना, ये तीन तरह की बातें हमें एक गधे से सीखनी चाहिए।

19.सुबह जल्दी उठना, रण में पीठ नही दिखाना, अपने सगे बंधुओ के साथ किसी वस्तु का बराबर भाग करना और अपने हक के लिए स्वयं लड़ाई करके छीन लेना, ये चारों गुण हमें एक मुर्गे से सीखने चाहिए।

20.अपनी पत्नी के साथ गुप्त स्थान पर संभोग करना, निडरता से रहना, जरूरी चीजों का संग्रह करना, हर वक्त सचेत रहना और किसी पर भी जल्दी से भरोसा नही करना, ये सभी पांच बातें इंसान को एक कौवे से सीखनी चाहिए।

21.बहुत ज्यादा भूख होने पर भी कम खाने को मिले तो भी संतुष्ट रहना, गहरी नींद सोना, गहरी नींद में होने पर भी तुरंत जग जाना, अपने मालिक के प्रति वफादारी से रहना और शूरता दिखाना, इन सभी छ: बातों को हमे एक कुत्ते से सीखनी चाहिए।

22.जो इंसान उपरोक्त बताए गए नियमों का पालन करेगा वह जरूर कामयाब होगा।

निष्कर्ष,

इस पोस्ट में हमने आपको Chanakya Niti in Hindi Sixth Chapter के बारे में बताया है, उम्मीद है आपको यह चाणक्य नीति पसंद आई हो और आपको प्रेरित किया हो।

आपकी यह चाणक्य नीति का छठा अध्याय कैसा लगा, हमें कमेंट करके जरूर बताए और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें।

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Vikram

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