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Inspiration Stories

एक शिक्षाप्रद कहानी – सबसे बड़ा दानी – Sabse Bada Dani Story

By VikramDecember 23, 20208 Mins Read
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Sabse Bada Dani Story
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एक शहर में एक बहुत दानी सेठ रहता था। उस सेठ के चर्चे पूरे राज्य में फैले हुए थे। कहा जाता था कि कोई भी फरियादी उसके घर से खाली हाथ नही लौटता था। जो भी उसके द्वार पर कुछ भी मांगने जाता था, सेठ कभी उसे निराश नही करता था और हरसंभव मदद करता था।

उसके इसी आचरण की वजह से दूर दूर तक उसकी ख्याति फैली हुई थी और कहा जाता था कि इस दुनिया में उससे बड़ा कोई दानी नही है।

उसकी दानी प्रवर्ति से उसके चर्चे स्वर्गलोक में भी होने लगे और कहा जाने लगा कि कर्ण के अलावा इस पृथ्वी पर अगर कोई दानी हुआ है तो ये सेठ ही है।

उसकी ख्याति क्षीर सागर में देवी लक्ष्मी तक भी पहुंची और अपनी जिज्ञासा को दूर करने के लिए माँ लक्ष्मी ने ऐसे ही भगवान विष्णु से पूछ लिया कि इस पृथ्वीलोक पर सबसे बड़ा दानी कौन है।

माँ लक्ष्मी की जिज्ञासा को भांपते हुए प्रभु ने जवाब दिया। हे देवी! वैसे तो इस पृथ्वीलोक पर बहुत दानी है, लेकिन सबसे बड़ा दानी वो गरीब लुहार है। प्रभु ने पृथ्वीलोक की तरफ इशारा करते हुए लक्ष्मी को बताया।

Sabse Bada Dani Story

Sabse Bada Dani Story

माँ लक्ष्मी ने जब लुहार को देखा तो उनका मन बहुत सारी शंकाओं से भर गया। उन्होंने सोचा कि ये गरीब लुहार कैसे सबसे बड़ा दानी हो सकता है।

अपनी शंकाओं को ज़ाहिर करते हुए माँ लक्ष्मी ने फिर भगवान से प्रश्न किया कि हे प्रभु ये कैसे संभव है। वो देखो राज्य में इतना बड़ा सेठ है जो कभी किसी को खाली हाथ नही लौटाता और जरुरतमंदो को उनकी जरुरत से ज्यादा देकर सहायता करता है और दूसरी तरफ ये लुहार है जो खुद की दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज है। ऐसा कैसे हो सकता है कि ये लुहार उस सेठ से बड़ा दानी है?

पहले भगवान विष्णु थोड़ा मुस्कराये और फिर बोले, हे देवी! इस बात का उत्तर हम ऐसे नही देंगे, हम साक्षात् आपको साबित करके दिखाएंगे, चलो मेरे साथ। ऐसा बोल कर प्रभु पृथ्वीलोक की तरफ चल दिए और पीछे पीछे माँ लक्ष्मी भी चल दी।

पृथ्वीलोक पहुंच कर प्रभु ने अपना वेश एक गरीब ब्राह्मण का बना लिया और माँ लक्ष्मी ने गरीब औरत का और दोनों उसी सेठ के घर की तरफ चल दिए। सेठ के घर पहुंच कर उन्होंने द्वारपाल से कहा की सेठ से कहो की ब्राह्मण देवता आये है।

द्वारपाल ने जब सेठ को बताया कि आपसे मिलने कोई गरीब ब्राह्मण और उनकी बीवी आये है तो सेठ ने आदेश दिया कि उनको आदर के साथ अंदर लाया जाये। अंदर पहुंच कर सेठ ने ब्राह्मणरुपी प्रभु और माँ लक्ष्मी को प्रणाम किया और आसन पर बैठने का आग्रह किया। ब्राह्मणरूपी भगवान और लक्ष्मी जी के लिए अच्छे से खाने की व्यवस्था की गयी और उनका बहुत आदर सत्कार किया।

Sabse Bada Dani Story

अब सेठ ने ब्राह्मण से आने का प्रयोजन पूछा। सेठ ने कहा, हे ब्राह्मण देव कैसे आगमन हुआ और मैं आपकी किस तरह सहायता कर सकता हूँ। प्रभु ने जवाब दिया कि हम गरीब ब्राह्मण मथुरा से आये है और काशी गंगा स्नान के लिए जा रहे है। रास्ते में कुछ लुटेरे मिल गए और हमारे पास जो कुछ भी था सब छीन लिया।

अब हमारे पास काशी जाने के लिए ना कोई साधन है और ना धन। इस शहर में आकर जब आपके बारे में सुना तो आपके पास आ गए। इतना सुनकर सेठ बोला, हे ब्रह्मदेव आप बिलकुल चिंता मत करिये, मैं आपको आश्वाशन देता हूँ कि आप काशी गंगा स्नान करने जरूर जायेंगे।

सेठ ने अपने नौकरों को आदेश दिया कि ब्रह्मदेव को एक बैलगाड़ी और पर्याप्त धन दिया जाये और रास्तेभर की सभी जरूरतों की वस्तुओं के साथ इनको विदा किया जाये। नौकरों ने वैसा ही किया और सेठ ने ब्राह्मणरूपी प्रभु को बड़े आदर से विदा किया।


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भगवान् विष्णु और माँ लक्ष्मी वहां से चल दिए। अब माँ लक्ष्मी और भी ज्यादा आश्वासित हो गयी कि मैंने जो कहा था ठीक कहा था कि ये सेठ ही सबसे बड़ा दानी है। थोड़ा आगे चलकर प्रभु ने वो बैलगाड़ी और धनदौलत वहीं छोड़ दी और उस लुहार के घर की ओर चल दिए। दिन ढलते ही प्रभु और माँ लक्ष्मी लुहार के घर पहुंच गए। वहां लक्ष्मी जी ने देखा लुहार एक टूटी सी झोंपड़ी में रहता है जिसकी छत भी कई जगह से खुली हुई थी।

Sabse Bada Dani Story

Sabse Bada Dani Story 1

माँ लक्ष्मी ने सोचा ये खुद इतना गरीब है, ये क्या दान कर पायेगा, लेकिन वो सिर्फ प्रभु के पीछे पीछे चली जा रही थी। लुहार के घर पहुंचते ही प्रभु ने लुहार को आवाज़ लगायी, कोई है क्या घर में। लुहार ने दरवाज़ा खोला और देखा कि सामने एक गरीब ब्राह्मण ओर उसकी बीवी खड़े है। लुहार ने आगे बढ़कर दोनों के चरणस्पर्श किये और अंदर आने को कहा। अंदर प्रभु ने देखा कि लुहार का घर का बहुत ही टूटा फूटा था, कुछ उसके लुहारी के सामान और कुछ फ़टे पुराने कपड़े और कुछ मिटटी के बर्तन ही थे।

लुहार ने दोनों को अंदर बिठा कर पानी पिलाया और आने का कारण पूछा। प्रभु ने फिर वही जवाब दिया कि मथुरा से आये हैं और काशी जा रहे है, गंगा स्नान करने। रास्ते में लुटेरों ने लूट लिया। अब जाने के लिए धन बचा है और न खाने को कुछ।

यह सुनकर लुहार बड़े सोच विचार में पड़ गया। लुहार सोच रहा था कि मैं गरीब कैसे इनकी मदद करूँ, मेरे पास तो खुद के खाने के लिए कुछ नही है। लुहार ने अपनी दुविधा को दबाते हुए कहा, आप चिंता ना करिये, आज रात आप इसी गरीब की कुटिया में विश्राम करिये, ऊपरवाला कोई न कोई रास्ता जरूर दिखायेगा।

Sabse Bada Dani Story

मैं आपके खाने की व्यवस्था करता हूँ। ऐसा कहकर लुहार अपनी रसोई की तरफ बढ़ा, वहां उसने देखा कि उसके पास बस तीन रोटी का आटा है। उसने तीन रोटी बनाई, एक प्रभु को एक माँ लक्ष्मी को और एक अपनी थाली में रखकर बोला, माफ करना ब्रह्मदेव मेरे पास बस यही है आप लोगों के लिए। तीनों ने रोटी खायी, फिर लुहार ने दोनों के लिए सोने के लिए बिस्तर लगाया और खुद बाहर सोने चला गया।

रातभर माँ लक्ष्मी यही सोचती रही कि मैंने सही कहा था कि सेठ ही सबसे बड़ा दानी है। उसने हमे इतना अच्छा भोजन कराया, और सभी जरूरतों को पूरा किया, और इस लुहार ने सिर्फ एक एक रोटी ही दी।

सुबह उठ कर जब प्रभु और माँ लक्ष्मी जाने लगे तो लुहार ने रोते हुए कहा, हे ब्रह्मदेव! मुझे माफ़ कर देना, जीवन में कभी कभी तो ब्रह्मदेव और ब्राह्मणी की सेवा का अवसर मिलता है और मैं अभागा उसमे भी असफल रहा।

Sabse Bada Dani Story

Sabse Bada Dani Story 2

यह सुनकर प्रभु ने कहा कोई बात नही, हम आपकी सेवा से बहुत प्रसन्न है। आपने वो सब किया जो आप कर सकते थे। हमे आपसे कोई शिकायत नही है। और ऐसा कहकर प्रभु वहां से चल दिए। आगे चलकर प्रभु ने माता से पूछा, हे देवी! अब बताओ कौन बड़ा दानी है, ये लुहार या वो सेठ?

माँ लक्ष्मी ने झट से जवाब दिया, वो सेठ बड़ा दानी है। उसने हमारी इतनी खातिरदारी की, इतनी धनदौलत दी और इतना अच्छा खाने को दिया, और इस लुहार ने बस एक एक रोटी और सोने के लिए फूस का बिस्तर। सेठ के स्वागत और सहायता के सामने इस इस लुहार का स्वागत और सहायता कुछ भी नही है।


माँ लक्ष्मी की बात सुनकर पहले तो प्रभु थोड़ा मुस्कराये और फिर बोले, हे देवी! आप यहाँ पर बिलकुल गलत हो। ज़रा सोचो, सेठ पर कितनी धन दौलत है और उसने जो हमे दिया वो कितना था।

अगर देखा जाये तो जो सेठ ने हमे दिया वो उसकी पूरी दौलत का हज़ारवां हिस्सा भी नहीं होगा, और लुहार के पास पूरी सम्पति क्या थी? वो तीन रोटी, जिसमे उसने आधी से ज्यादा हमे दे दी। तो अगर देखा जाये तो लुहार का दान ज्यादा बड़ा था। हालाँकि सेठ ने ज्यादा दान दिया लेकिन बड़ा दान लुहार ने दिया।

इसलिए हमारी नज़र में लुहार उस सेठ से बड़ा दानी है। अब बात माता लक्ष्मी जी की समझ में आ गयी और उन्होंने भी प्रभु के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा, अपने सही कहा था, ये लुहार ही सबसे बड़ा दानी है।

दोस्तों आपको यह Sabse Bada Dani Story कैसी लगी, हमे आप कमेंट करके जरूर बताए और इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें।

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